मानवाधिकार के अर्थ एवं परिभाषा की व्याख्या करें

By sunil kumar rana

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मानव अधिकार क अर्थ :- मानवा अधिकार या मानव अधिकार व अधिकार है, जो एक मानव होने के नाते निश्चित रूप से मिलना चाहिए। मानव अधिकार कहलाता हैं।

  • यह वे अधिकार है जो किसी मानव को जन्म से ही प्राप्त हो जाता है
  • मानव अधिकार वे अधिकार है जिसके बिना मानव अपने व्यक्तित्व के पूर्ण विकास के बरे में सोच भी नहीं सकता है।
  • मानव अधिकार से तात्पर्य उन सभी अधिकारों से है जो व्यक्ति के जीवन सतंत्रता, समानता एवं प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है।
  • मानव अधिकार सबको सम्मान रूप से प्राप्त है इन अधिकारों का हनन जाति धर्म भाषा लिंग के आधार पर नहीं किया जा सकता है। ये सभी अधिकार जन्मजात अधिकार है
  • मानव अधिकार का अभिप्राय राज्य द्वारा को दिया गया कुछ कार्य करने के स्वतंत्रता से है जिससे व्यक्ति अपने शरीर मानसिक एवं नैतिक शक्तियों का पूर्ण विकाश कर सके।
  • मानव अधिकार प्रकृति पर्दत्त अधिकार है, इसलिए समय तथा परिस्थितियों में परिवर्तन होने पर भी अधिकारों के स्वरूप में विशेष परिवर्तन नहीं होता है
  • अधिकारों से व्यक्ति को स्वतंत्रता कीगारंटी मिलती हैं शोषण और अत्याचारों से मुक्ति मिलती है।
  • सबसे पहले मानव अधिकारक शब्द का प्रयोग अमेरिकन राष्ट्रपति रूजवेल्ट द्वारा 16 जनवरी 1941 कोकया गया है
मानवाधिकार के अर्थ एवं परिभाषा की व्याख्या करें
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मानव अधिकारों के उदाहरण

मानव अधिकार सबसे मौलिक और बुनियादी अधिकार हैं जो हर व्यक्ति को जन्म से ही प्राप्त होत है। और यह अधिकार मानव की मृत्यु तक जारी रहता है। किसी मनुष्य के अधिकार को उससे नहीं छीना जा सकता है। चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, आस्था को क्यों ना मानता हो। मानव अधिकार न्याय पाने का एक मार्ग है। यह सुरक्षात्मक कानून है मानव अधिकारो की सार्वभौमिक घोषणा में तीस मानवाधिकारों का वर्णन किया गया है।

मानव अधिकार के उदाहरण है:-

  • समानता का अधिकार
  • जीवन का अधिकार
  • स्वतंत्रता का अधिकार
  • सुरक्षा का अधिकार
  • अपमानजनक व्यवहार से मुक्ति
  • गुलामी से मुक्ति
  • शिक्षा का अधिकार
  • धर्म के स्वतंत्रता का अधिकार………..इत्यादि

मानव अधिकार के परिभाषा

  • आर. जे. के अनुसार :- मानव अधिकार वह अधिकार है जो प्रत्येक व्यक्ति को मानव होने के कारण प्राप्त है।
  • लॉस की के अनुसार :- मानव अधिकार सामाजिक जीवन की वह परस्थितियों है। जिसके बिना कोई भी व्यक्ति का विकास नहीं कर पाता।
  • डेविड. सेलबाई के अनुसार :– मानव अधिकार संसार के समस्त व्यक्ति को प्राप्त है क्यों कि यह स्वयं में मानवीय है। वे पैदा नहीं किया जा सकता हैं।
  • बोसके के शब्दों में :- अधिकार वह मांग है जिसे समाज स्वीकार करता है और राज्य लागू करता है।

मानव अधिकार की विशेषताएं

  • ये अधिकार आवश्यक और है :- मानवाधिकार के अभाव में समाज दयनीय स्थिति में होगा। मानवाधिकार लोगों के उत्थान के लिए आवश्यक है।
  • मानवाधिकार सार्वभौमिक है :- ये अधिकार लोगों के बीच रूप से उपलब्ध है, लोगों के बीच मतभेद नहीं करता । ये अधिकार सभी लोगों को सामान रूप से उपलब्ध है।
  • गतिशील :- ये अधिकार स्थिर नहीं होता, इन्हें मौजूदा स्थिति और परिस्थितियों के अनुसार संशोधित किया जा सकता है।
  • अपरिवर्तन :- मानव अधिकार अपरिवर्तन है। इन्हें कोई भी छीन नहीं सकता। कोई भी शक्ति या प्राधिकार किसी व्यक्ति से इन मूल अधिकारों को नहीं छीन सकता।
  • गरिमा से जुड़ी :- ये मानवाधिकार समाज में रहने वाले व्यक्ति की गरिमा से जुड़े हुए है।
  • मानवाधिकार जन्मजात होता है :- अधिकार कही से या किसी से लाए या उधार नहीं लिया जा सकता। उनके अधिकार स्वाभाविक रूप से विद्यमान होते है।

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sunil kumar rana

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