#1 हड़प्पा सभ्यता के नगर योजना एवं गृह निर्माण पर टिप्पणी लिखे ?

By sunil kumar rana

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हड़प्पा सभ्यता के नगर योजना एवं गृह निर्माण पर टिप्पणी लिखे

हड़प्पा सभ्यता, जिसे सिंधु घाटी सभ्यता भी कहा जाता है, प्राचीन भारतीय इतिहास की सबसे प्रगति-पूर्ण और संगठित सभ्यताओं में से एक थी। यह सभ्यता लगभग 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व के बीच फली-फूली और इसका विस्तार आज के पाकिस्तान और भारत के कुछ हिस्सों में था। हड़प्पा सभ्यता के लोग नगर योजना, जल प्रबंधन, और गृह निर्माण के मामले में अत्यंत उन्नत थे। उनके नगरों की योजना और निर्माण शास्त्र ने यह सिद्ध कर दिया कि वे वास्तुकला और शहर निर्माण के क्षेत्र में काफी विकसित थे। इस टिप्पणी में हम हड़प्पा सभ्यता के नगर योजना और गृह निर्माण पर विचार करेंगे।

नगर योजना

हड़प्पा सभ्यता के नगरों की योजना अत्यंत व्यवस्थित और वैज्ञानिक थी। यहाँ के नगरों की सड़कें और गलियाँ एक निर्धारित योजना के तहत बनाई गई थीं, जो समकालीन सभ्यताओं से कहीं अधिक उन्नत थी। हड़प्पा के नगरों में मुख्य रूप से दो प्रकार की सड़कें पाई जाती थीं: प्रमुख सड़कें और सहायक सड़कें।

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  1. सड़क व्यवस्था: हड़प्पा नगरों में प्रमुख सड़कें उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम दिशा में परस्पर समकोण पर स्थित थीं। इसका उद्देश्य नगर के यातायात को सरल और प्रभावी बनाना था। इन सड़कों की चौड़ाई लगभग 30 फीट से लेकर 40 फीट तक थी। यह सड़कों की चौड़ाई उनके व्यापारिक और सामाजिक जीवन की जीवंतता को दर्शाती है। इसके अलावा, नगर में सड़कों के बीच में गड्ढे, नालियाँ और नालों की व्यवस्था की गई थी, जिससे जल निकासी का उचित प्रबंध हो सके।
  2. जल निकासी व्यवस्था: हड़प्पा सभ्यता में जल निकासी व्यवस्था का स्तर अत्यधिक उन्नत था। पूरे नगर में नालियों और सीवरेज सिस्टम की व्यवस्था की गई थी। इन नालियों का निर्माण ईंटों और पत्थरों से किया गया था। ये नालियाँ सड़कों के किनारे स्थित होती थीं, जिससे बाढ़ और जलभराव की समस्या का समाधान होता था। इसके अलावा, घरों में पानी की आपूर्ति के लिए कुएँ, टंकी और जलाशय बनाए गए थे।
  3. सार्वजनिक स्थल और भवन: हड़प्पा सभ्यता में सार्वजनिक भवनों का भी महत्व था। इनमें से कुछ भवनों का उपयोग धार्मिक, प्रशासनिक और व्यापारिक उद्देश्यों के लिए किया जाता था। इन भवनों का आकार और रूप वास्तुकला में एक नई दिशा दिखाता है। हड़प्पा के नगरों में ‘ग्रेनरी’ (अनाज रखने का स्थान) और ‘बैठक गृह’ जैसी संरचनाएँ पाई जाती थीं, जो यह दर्शाती हैं कि समाज में कृषि और व्यापार का गहरा संबंध था।
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गृह निर्माण

हड़प्पा के लोग अपने घरों के निर्माण में भी अत्यधिक ध्यान देते थे। उनके घर मुख्यतः मिट्टी और ईंटों से बनाए जाते थे, और इनका निर्माण उच्च मानकों के अनुसार किया जाता था। हड़प्पा सभ्यता के घरों की योजना में कुछ विशिष्टताएँ देखी जाती हैं:

  1. घर का आकार और निर्माण: हड़प्पा के घर छोटे-छोटे आंगनों के चारों ओर निर्मित होते थे। इन घरों के निर्माण में उपयुक्त ईंटों का उपयोग किया जाता था। घरों के आकार में विविधता थी, लेकिन अधिकांश घरों में एक या दो कमरे होते थे। इन घरों के आंगन में जल संचयन की व्यवस्था होती थी। घरों के अंदर जल निकासी के लिए पाइप और नल की व्यवस्था की गई थी, जिससे जल की आपूर्ति और निकासी प्रभावी रूप से की जा सके।
  2. गृहस्थल और कार्यस्थल: हड़प्पा के घरों में एक या दो कार्यस्थल होते थे, जहाँ घरेलू कामकाजी और व्यापारिक गतिविधियाँ की जाती थीं। इन कार्यस्थलों में मर्तबान, बर्तन, उपकरण आदि बनाए जाते थे। कई घरों में चूल्हे और जलाशयों के लिए स्थान निर्धारित था। घरों के भीतर जलाशय और पानी की टंकी की व्यवस्था थी, जिससे जल की आपूर्ति और घरेलू कार्यों में आसानी होती थी।
  3. सामाजिक और सांस्कृतिक संकेत: हड़प्पा के घरों में पेंटिंग्स, मूर्तियाँ और अन्य कलात्मक कार्य भी पाए गए हैं, जो यह संकेत देते हैं कि यहाँ के लोग कला और संस्कृति में भी रुचि रखते थे। उनके घरों के भीतर छोटे-बड़े मंदिर और पूजा स्थल भी पाई जाती थीं, जो धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन की महत्वपूर्ण झलक प्रस्तुत करती हैं।

नगर योजना और गृह निर्माण का महत्व

  1. सामाजिक संगठन और प्रबंधन: हड़प्पा सभ्यता में नगरों की योजनाबद्ध संरचना और गृह निर्माण के तरीके समाज में एक उच्च स्तर के सामाजिक संगठन और प्रबंधन को दर्शाते हैं। यहाँ के लोग न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन को व्यवस्थित रूप से जीते थे, बल्कि पूरे समाज को एक ठोस और संतुलित ढंग से चलाने के लिए नगर योजना और निर्माण में नवाचार कर रहे थे।
  2. व्यापार और संस्कृति का विकास: हड़प्पा के नगरों में व्यापार और सांस्कृतिक गतिविधियाँ बेहद सक्रिय थीं। यहाँ के प्रमुख नगरों, जैसे मोहनजोदड़ो और हड़प्पा, व्यापारिक केंद्र थे। इन नगरों में निर्माण की जो योजनाएँ बनाईं गई थीं, उनका उद्देश्य व्यापार, उत्पादन, और परिवहन को बढ़ावा देना था।
  3. विकसित वास्तुकला: हड़प्पा के नगरों और घरों का निर्माण उनके विकसित वास्तुशिल्प का प्रमाण है। उनके द्वारा विकसित ईंट निर्माण तकनीक, जल निकासी और जल आपूर्ति के तरीके, और सड़क व्यवस्था यह दर्शाते हैं कि हड़प्पा के लोग शहरी जीवन और उसकी सुविधाओं को समझते थे और उनका सही उपयोग करते थे।

निष्कर्ष

हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना और गृह निर्माण ने प्राचीन शहरी जीवन के विकास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखा है। उनका व्यवस्थित शहर निर्माण, जल आपूर्ति और निकासी प्रणालियाँ, और घरों की संरचना यह सब दर्शाते हैं कि वे अपनी सभ्यता के निर्माण में अत्यधिक कुशल और समझदार थे। हड़प्पा सभ्यता न केवल वास्तुकला और नगर योजना के क्षेत्र में अत्यधिक उन्नत थी, बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता और विकास की दिशा भी समय से बहुत आगे थी। यह सभ्यता हमें यह सिखाती है कि जब समाज की प्रगति और उसके अवसंरचना को ध्यान में रखा जाता है, तो एक सभ्यता दीर्घकालिक और स्थिर हो सकती है।

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sunil kumar rana

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